तुम तन्हाई में मेरी तस्वीर चूमती हो क्या। जब तेरे होते हुए भी किसी और ने तसल्ली दी मुझे। हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है। आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी इन में इक रम्ज़ है जिस रम्ज़ का मारा हुआ ज़ेहन इक समुंदर कह रहा था मुझ https://youtu.be/Lug0ffByUck